परम्‍परा

ॐ श्री अलखपुरीजी सिद्ध पीठ परम्परा

प्राचीन काल से संत और गुरुओं ने योग के दिव्य संदेश के संरक्षण, प्रसारण और मानव जाति की भलाई के लिए खुद को समर्पित किया है।
महानिर्वाणी अखाडे के परम पूज्य विश्वगुरु महामण्ड्लेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानन्द पुरी, जिन्हे प्यार से स्वामीजी कहा जाता है, भी आध्यात्मिक गुरुओं की परम्परा ॐ श्री अलखपुरीजी सिद्धपीठ परम्‍परा से ही आते हैं ।

 

परम महासिद्ध अवतार श्री अलखपुरीजी

श्री अलखपुरीजी महान सिद्ध संत हैं। वे सत्य लोक (परम सत्य यथार्थ सर्वोच्च परमात्म लोक) के ऋषियों में से एक हैं जो संसार के संरक्षण का कार्य हजारों वर्षों से स्थूल या सूक्ष्म रुप में कर रहे हैं। उनका उदगम किसी को ज्ञात नहीं, वे संसार से अतीत हैं तथा समय से अप्रभावित हैं।

परमयोगेश्वर स्वयंभू श्री देवपुरीजी महादेव

कैलाशपति ने कैलाश से हिमालय बद्रीनाथ धाम की ओर प्रस्थान किया। वहाँ दुर्गम पहाड़ों के बीच अपने श्री शम्भू पंच अटल अखाड़े में पहुंचे, वहां पर परम तपस्वी, साक्षात् अलख पुरुष श्री अलखपुरीजी महाराज से मिले। दोनों ईश्वरीय विभूतियों का मिलन विश्व के लिए वरदान रूप था।

भगवान् श्री दीपनारायण महाप्रभुजी

भगवान् श्री दीपनारायण महाप्रभुजी, श्री देवपुरीजी के उत्तराधिकारी थे, प्रेम, करुणा एवं ज्ञान के महान एवं दिव्य अवतार थे। श्री महाप्रभुजी राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भाग में सन् १८२८ से १९६३ तक जीवित रहे। उनका वचन "प्रत्येक जीवित प्राणी को कम से कम उतना ही प्रेम करो जितना तुम स्वयं से करते हो" सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए उनके स्वर्णिम उपदेशों का सार हैं।

हिन्दू धर्म सम्राट परमहंस श्री स्वामी माधवानन्द जी

भगवान श्री दीपनारायण महाप्रभुजी के अनेकों आत्मज्ञानी भक्त शिष्य हुए। उनमें से उनके उत्तराधिकारी, एक आध्यात्मिक ज्योतिर्पुंज, हिन्दू धर्म सम्राट परमहंस श्री स्वामी माधवानन्द जी थे। जिनके द्वारा महाप्रभुजी का दिव्य प्रकाश संसार को प्राप्त हुआ। उनके प्रिय भक्त शिष्य उन्हें "Holy Guruji” अर्थात् पवित्र गुरुजी कहकर संबोधित करते थे।

विश्‍वगुरु महामण्‍डलेश्‍वर परमहंस श्री स्‍वामी महेश्‍वरानन्‍द पुरी जी

परमहंस श्री स्‍वामी महेश्‍वरानन्‍द, परमहंस श्री स्‍वामी माधवानन्‍द जी के शिष्‍य एवं उनके पीठासीन(उत्‍तराधिकारी) है।

१९७२ से विएन्ना, ऑस्ट्रिया में रह कर के उन्होंने “इंटरनेशनल श्री दीप माधवानंद आश्रम" एवं प्रथम "दैनिक जीवन में योग" नाम की संस्थाएँ स्थापित की । स्वामीजी के नेतृत्व में सैकड़ों योग साधना केंद्र पश्चिमी और मध्य यूरोप में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत में हैं ।