पद राग मारवाडी न्॰ २
चालो चालो रे सहेल्या सतगुरु सारंगधर के देश।
सारंगधर के देश, पीववर अलबेल्या के देश॥टेर॥
पीव रंगीलो सब गुण सीलो स्वरुप रसीलो भेष॥१॥
अजब सनेहा बरसे मेहा जीजे देहा सद उपदेश॥२॥
सेजा भिनी नित नवीनी आतम चीनी शेष॥३॥
सत गुरु नाथ गहो री हाथ चालू साथ धन्य-धन्य हो आदेश॥४॥
श्री देव गोंसाई मिल गया यहा ही भूलू नहीं ल्हेश॥५॥
कहे दीप स्वामी अंतर्यामी हो घण नामी गणेश॥६॥