योजनाएं

जब भगवान् हमारे द्वारा कुछ बुलवाने की कोशिश करता है, तो इसका अर्थ यह माना जाता हैं कि - कुछ ऐसा काम करो, जिससे की समस्त मानव जाति का कल्याण हो सके तथा साथ ही साथ इस पर्यावरण को भी शुद्व रखा जा सके अर्थात इसकी सुरक्षा की जा सके एवं सबकी समस्याओं के समाधान हेतु हम सहायक सिद्व हो सकें। जब आप स्वयं की इच्छा से एक स्वयंसेवक के रुप में काम करते हैं तब आप स्वयं ईश्वर के रुप में काम कर रहे होते हैं और तब काम जल्दी-जल्दी होता हैं क्योंकि ईश्वर हम मनुष्यों से जल्दी काम करता हैं। ईश्वर के हाथों में स्वयं को छोड देना, उसके प्रति समर्पित हो जाना, आसान नहीं हैं यह तो स्वयं को आग में झोंक देने जैसा हैं। मनुष्य की अपनी सीमाएँ होती है, वह थका हो सकता है किंतु ईश्वर से प्रेरित काम करने के समय उसमें एक अलग ही ऊर्जा आ जाती हैं, और वह काम करने में सफल हो जाता है। वह फिर से शक्ति प्राप्त कर लेता है। वह न तो थकता है और न ही परेशान होता है बल्कि उसे काम करने में आनन्द का अनुभव होता हैं। इसका साफ अर्थ है कि आपकी चेतना द्वारा भगवान् कार्य करवा रहा है। अब आप ईश्वर के प्रेम का सही माध्यम बन जाते है। अब उसका प्रेम मनुष्यों की सेवा, उनको प्रेम देने के लिए और उनकी सहायता करने के रुप में आपके द्वारा उन तक पहुँचता हैं।

 

परमहंस स्वामी महेश्वरानन्द

ॐ आश्रम

१९९० में पुण्यात्मा विश्वगुरु महामण्डलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानन्द पुरी ने श्री देवपुरी जी आश्रम ट्रस्ट और इण्टरनेशनल श्री दीप माधवानन्द आश्रम फेलोशिप की छत्रछाया में एक बहुत बडी परियोजना की नींव रखी। इस परियोजना का नाम है- ॐ विश्वदीप गुरुकुल स्वामी महेश्वरानन्द आश्रम एज्यूकेशन एण्ड रिसर्च सेंटर ( इसे सामान्य रुप से ॐ आश्रम के नाम से जाना जाता है ) यह ॐ आश्रम उक्त परियोजना का एक भाग है। इस केन्द्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय योग विज्ञान की और वैदिक संस्कृति के अनमोल आध्यात्मिक निधि को आगे बढाना है।

वर्षा जल संरक्षण

भारत में रेगिस्तान के प्रदेश राजस्थान में जलस्तर में कमी के संकट को देखते हुए "इण्टरनेशनल श्री दीप माधवानन्द आश्रम फेलोशिप" ने "डेजर्ट रेनवॉटर हार्वेस्टिंग" शुरु की किया है। इस राजस्थान के परम्परागत वर्षाजल संरक्षण के तरीके को सामूहिक जल संरक्षण प्रबन्धन के साथ मिलकर एक दीर्घकालीन मॉडल बनाया गया है, जिसे अकाल से ग्रस्त क्षेत्रों में संसार भर में उपयोग में लाया जा सकता हैं।

ज्ञान पुत्र

यह राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका है, जो सूखा और ऊसर (अनुर्वर) है, और बरसों से सूखे की चपेट में हैं। यहाँ रहने वालों का जीवन मुश्किल हैं और इनके पास अवसर (मौके) भी कम हैं। यही कारण है कि यहाँ के परिवार अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज पाते। उनमें भी लडकियों को तो शिक्षा का अवसर मिलता ही नहीं।
 

श्री स्वामी माधवानन्द ऑस्ट्रिया अस्पताल

रोगी और जरुरतमन्द लोगों को सहानुभूति पूर्वक सहायता देना, उन सबको पूरी तरह स्वस्थ रहने के विषय में जागरुक करना, स्वास्थय संबंधी शिक्षा और अनुसन्धान में उच्च स्तर को बनाए रखना इस परियोजना का उद्देश्य हैं। इसके द्वारा पर्याप्त चिकित्सा सेवाऍ प्रदान करना भी इस परियोजना के उद्देश्यों में हैं।

संकटकालीन सहायता

शस्तानि घोरदानानि महादानानि नित्यश:।

पात्रेभ्यस्तु प्रदेयानि आत्मानं तारयंति च॥१॥

बड़े-बड़े जो जो दान कहे हैं, वे प्रतिदिन योग्य व्यक्ति को

देने चाहिए, तभी वे अपना कल्याण करते हैं॥१॥

Animal Refuge - Om Shree Deveshwar Mahadev Gaushala

पशुसंरक्षण - ॐ श्री देवेश्वर महादेव गौशाला

राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में उन पशुओं के लिये जीवन बहुत मुश्किल हैं, जिन्हें बूढा होने पर गाँववाले खुला छोड देते हैं, क्योंकि अब वो उनका पेट नहीं भर सकते। विशेष रुप से जब क्षेत्र में सूखा पडा हो। आश्रम ने एक पशुगृह बनाया हैं, जिसका नाम ॐ श्री देवेश्वर महादेव गौशाला हैं। इसमें बूढे, गृहविहीन और रोगी पशुओं की देखभाल होती हैं। कई सौ ऐसे पशु पशुओं के डॉक्टरों की देखरेख में यहाँ रहते हैं।
 

वनसंरक्षण

"दैनिक जीवन में योग" के अनुयायी लोगों के समूहों का स्वामी जी ने पेड लगाने का आह्मन किया हैं, जिससे स्थानीय निवासियों और जीवों को संरक्षण मिले और उनमें वृद्वि हो। पूरे विश्व भर में फैले स्वामी जी के शिष्य अपनी - अपनी जगह पर वनसंरक्षण के कार्यो में सक्रियता से भाग ले रहे हैं। पिछले दो वर्षो में हजारों पेड रोपे गये हैं। वनसंरक्षण की रिपोर्टें हर महीने मिल रही हैं।