पद राग मांह ताल दादरा न॰ ९ .
सखीरी सुन दिल के दरद री बात।
सुन्दर महल अटारी सैया, पलक चैन नहीं आत॥टेर॥
प्राण जाय बिना पीव हमारा ।
बेग मिलो री नाथ॥१॥
सुख सेज्या तुरिये पद मांही ।
रमण करुंगी साथ॥२॥
पीव मिले सुखी होय बिरहनी ।
जन्म मरण टल जात॥३॥
कामा तुर मन सुधी न तनकी ।
आशा है दिन रात॥४॥
रोवे नेण सेण कद मिलसी ।
योवन बिरथा जात॥५॥
अंग लिपटाऊ संग न छोडू ।
भरके मिलूंगी बाथ॥६॥
श्री देवपुरी पूर्ण पुरुषोत्तम ।
हरीजी गह्मो मम हाथ॥७॥
श्री स्वामी दीप कहे ब्रह्म आनन्दी ।
बरसरयो है तदात॥८॥