पद राग रसिया न॰ १४
सजन मेरी सुण समुचित एक बात।
सत गुरु गहो मेरो हाथ॥टेर॥
सत गुरु अमर पीव वर मेरा।
सदा रहूँ संग साथ॥१॥
परम धाम में सेज श्याम की।
मन भर करस्यू बात॥२॥
जीवन मुक्त परम सुख पायो।
जनम मरण नहीं आत॥३॥
श्री दीप कहे ।
गुरु ब्रह्मानन्दी मुक्तानन्द तदात॥४॥