पद राग रसिया न॰ १५
सजन मेरी अनुभव बरसे मेव।
आतम उलट इन्दर ओलरिया, गुरु गम घणो है सनेव॥टेर॥
भल हम दामण दमक रही है।
ऐसा अजब अभेव॥१॥
रंग झड लागो सर्व अंग भीनो।
कौन सुने किसे केव॥२॥
भई गल्तान भरयो सुख सागर।
ज्या का आद अंत नहीं छेव॥३॥
श्री दीप कहे हद मेहा बूठा।
नमो देवादि देव॥४॥