पद राग मारवाडी न॰ १९
सुनो री मेना तू हरि भज लावा लूट।
सार निज यही जग कारबार सब झूंट॥टेर॥
डार डार पर तू फिरे घट विषय फल खाय।
एक पलक में क्या खबर जी काल लहेगा लूट॥१॥
फल खाती फूली फिरे विषय मृग जलवत सम जान।
सूवो कहे सुन सहेलडी जी ये रस जाणो झूंठ॥२॥
फिर बिछुडे इण बाग सू मिलणा हो कि न होय।
हंसो सोहं हंस कहों जी दे दुनिया ने पूठ॥३॥
गुरु चरण कमल सतसंग में जी अमृत वृक्ष फल जान।
श्री दीप हरि यो कहत है जी वो ही स्वर्ग बैकुण्ठ॥४॥