पद राग केरवा न॰ २३
हाँ हाँ जी म्हाने घणी उमेदी आया परम गुरु सा पावणा॥टेर॥
झुक झुक के बन्दन करुस जी चरण कमल के मांय।
कनक जु हार करु प्रणाम जन्म सफल हो ज्यावणा रे॥१॥
कुम्भ कुम्भ केशर अम्बर चन्दन देऊ चोक पुराय।
वाणी से महिमा करु जी आनन्द मंगल बधावणा रे॥२॥
अति हर्षित मन उमंग हमारे कैसे सकू री गाय।
गूंगे गुड ज्यू कही न जावे हृदय उमंग भरावणा रे॥३॥
हिंगलु ढालू ढोलियोस जी रेशम सेज संवार।
अंतर मरवा केवडा स जी पंखा पवन दुला वणा रे॥४॥
श्री देवपुरी निर्गुण नारायण निर बन्धन भगवान।
श्री दीप कहे मन जोर उम्हावो श्री गुरु २ गुण गावणा रे॥५॥