पद राग दीपचन्दी ताल न॰ २६
उडादी म्हारी नींदडलि ये हेली।
सत गुरु श्याम मुरार॥टेर॥
ज्ञान कथा मुझ को कही जी सुरता दिवी जगाय।
दरशन दीना अंतरयामी मैं लिपट गई चरणाय॥१॥
उठ सखी कैसे सूती जी तेरे संग में कौन सहाय।
हटवाडो मेलो मण्डियो बेग दुकान उठाय॥२॥
कित आई कहा जायगी ये तुझे मालूम है कि नाय।
मेरा ही सब खेल है यह मुझ बिन और है नाय॥३॥
सही श्याम साची कही जी अब भूलूंगी नाय।
श्री दीप कहे जागृत थई जी तुरिया पद स्व माय॥४॥