पद राग रेखता तर्ज देश नं॰ ७२

आज को उम्हावो म्हारे मन भायो ये।
सत गुरु मिलिया है दीन के दयाल॥टेर॥

चरण कमल हम परसिया ये, जीव हुवा हरि भेला।
निरख्या नेणा सू नाथ ने ये, आनन्द धन केला ये॥१॥

रैन गई दिन उगिया ये, भया चहूँ दिश उजियाला।
दुरमत दूरी सब गई ये, सुनिये साहेब हेला॥२॥

पारब्रह्म प्रभु भेटिया ऐ, ऐसा पिया अमृत प्याला।
पूर्व पुण्य प्रगट भया ये, हुआ आज निहाला ये॥३॥

दरशन करिया पाप सब हरिया, तेज पुंज शुद्व चेतन वाला।
श्री स्वामी दीप यों विनवें ये सदा ही करो प्रतिपाला॥४॥