पद राग मारवाडी नं॰ ७८
हां बडो दिन उग्यो ये म्हाने, स्वामी राजा दरश दिया।
स्वामी राजा दरश दिया, मोरी आतम हरष दीया॥टेर॥
अमृत बून्दा मेवा परस्या, चेतन हंस घणी विध हरस्या।
तन मन अरपन किया॥१॥
पल-पल नमन करुँ चरणों में, पुण्य पूरब उदय भया।
कृपा कीनी अंतरयामी, प्राश्चित दूर गोया॥२॥
असंख्य जुगां का सूता जागा जरा मरण भव संशय भागा।
जीवन मुक्त किया॥३॥
सत गुरु स्वामी देवपुरी सा, ज्ञान विज्ञान दिया।
स्वामी दीप शरन सत गुरु के, चाकर होय लिया॥४॥