पद राग बधावा नं॰ ७९
हो आज बड भाग हमारा ये।
सत गुरु साहेब भेटिया ईश्वर अवतारा ये॥टेर॥
निरखत ही दु:ख नाशिया, दर्शन दीदारा ये।
परसत चरण परम सुख पाया, प्राण अधारा ये॥१॥
विश्व जीव सकल का दुष्टा, हमेशा न्यारा ये।
शुद्व स्वरुप अचल अविनाशी, जानन हारा ये॥२॥
हरषत ही हरी भेटिया, ऐसा सरजन हारा ये।
सगुण रुप धरयो करतारा, पर उपकारा ये॥३॥
सत गुरु साहेब देव पुरी ब्रह्म, सिरताज हमारा ये।
स्वामी दीप श्री मुख महिमा, जाऊँ बलिहारा ये॥४॥