पद राग रसिया नं॰ ९६
सत गुरु कोई बिसरिया सा, महाराज॥टेर॥
जल दरियाव अथंग जल भरिया,
अद्व बीच चल रही है जहाज॥१॥
मैं नहीं जाणूँ आप सब जानो,
सुनीज्यो गरीबनवाज॥२॥
करुणा निधान दयालु देवा,
रखलीज्यो भक्त की लाज॥३॥
आप बिना प्रभु किन को पुकारुँ,
आ वेल्या है आज॥४॥
स्वामी दीप की यही विनती,
सुणलीज्यो अलख आवाज॥५॥