पद राग खमाचा नं॰ १००
सहेल्यां सेलीवाला ये मने भाला लागे श्याम।
मने भाला लागे श्याम, मेरा सत गुरु सायब राम॥टेर॥
धरम हेतु अवतार लियो हरी, पर उपकार तमाम।
निर्गुण से सगुण विपु धारयो, सुफल किया सब काम॥१॥
शब्द सुनाया हंस जगाया, जग से कर उपराम।
सत गुरु साचा जगत सब झूंठा मिथ्या सकल तमाम॥२॥
सत गुरु स्वामी देवपुरी सा, आप अलख बेनाम।
श्री स्वामी दीप शरण सत गुरु की चरण कमल सुखधाम॥३॥