पद राग आशावरी नं॰ १०६
साधो भाई संत सूरवां गाजे।
आन अनादि अविद्या है दुनिया,
भेड भिडकती भाजे॥टेर॥
उल्टा पबन सीकर घर चडीया,
सोहं सीवरण साजे॥१॥
अनहद धुन गगन में बाजे,
बेगम पुर दरवाजे॥२॥
हद बेहद के आगे आसण,
अपने ही आप बिराजे॥३॥
सत गुरु सायब देवपुरी सा,
सब संतन सिर ताजे॥४॥
स्वामी दीप सत प्रकाशे,
झूंठ कहयां गुरु लाजे॥५॥