पद राग मारवाडी नं॰ ११२
सन्देशो वालो लागे ये, मन सतगुरु सायब को।
अनंत जन्म का पंथ निहारु धरु ध्यान पल पल को॥टेर॥
अमर लोक से सतगुरु आये, सूता हंस तुरत जगाये।
भव पार किया हम को॥१॥
परमार्थ के कारण आया, जीवन मुक्त विदेह पद पाया।
अब शंक नहीं जमको॥२॥
आपो आप स्वरुप लखाया, आवागमन फेर नहीं पाया।
अब हम जाण लिया हमको॥३॥
श्री देवपुरी सा सतगुरु पाया, उनका आद अंत नहीं आया।
श्री स्वामी दीप दास है कदम को॥४॥