पद राग मारवाडी नम्बर १२६
धन धन हे सजनी, भला ऊगा भाण।
सत गुरु सायब मिलिया, पद पाया निरवाण॥टेर॥
अनंत जन्म की भूल मिटाई,
समझ दिवी परवाण॥१॥
अब क्या भेट करुँ साहब के
तन मन धन कुरबाण॥२॥
जीवन मुक्ति प्राप्त हमको,
अपना आप लिया पिछाण॥३॥
आवागमन फेर नहीं आऊँ,
निरभय घुरावु निसाण॥४॥
सत गुरु स्वामी अंतर यामी,
भेट लिया महाराण॥५॥
स्वामी दीप की यह है विनती,
मुख से महिमा होवे नहीं बखाण॥६॥