पद राग बधावा नं॰ १२९
हो भजन बिना सारो झूंठो रे।
वेद पुराण कुराण पढो थे, डंडा कूटो रे॥टेर॥
कपट मांयने झपट करो थे, माल घणो लूटो रे।
करो अन्याय न्याय नहीं जाणो, जुल्म नहीं छूटो॥१॥
पढ कानून प्रविण भयो, पापी बन गयो उलटो रे।
दुनिया कहे विद्वान घणो है, गरीबा ने लूटो रे॥२॥
करो अपराध आंधा ज्यों चालो, हियो काहे फूटो रे।
ताजा हुवा माल घणा खाया, टोले का ज्यू ऊँटो रे॥३॥
निवन करो नहीं मात पिता को, धरम थांसू रुठो रे।
खावो मद मांस दया नहीं पालो, फंस गयो कर्मो को कुटो रे॥४॥
अंतर तेल फुलेल छबीला, करडा वण में ठूंटो रे।
धन्य धन्य माता पिता हरीजन को, मेले मिल वाला लूटो रे॥५॥
सतगुरु सायब देवपुरी सा, अनुभव झड बूठो रे।
स्वामी दीप लवलीन पार ब्रह्म, शीश पर सत गुरु इष्ठो रे॥६॥