भाद्र्पद सुदी एकं संवत्सर २०७० को विश्व गुरु दीप आश्रम, श्याम नगर, सोडाला, जयपुर में श्री स्वामी माधवानंद जी महाराज का ९१वां जन्मोत्सव धूमधाम से मानाया गया।
म.म. स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी ने श्री गुरुजी की जीवन लीला का वर्णन किय। श्री ज्ञानेश्वर ने गुरुजी के द्वारा जीवन पर्यंत किये गये लोकोपकारी कार्यों का परिचय दिया, साथ ही साथ उनके विराट व्यक्तित्व, भक्ति-भावना, सबके प्रति प्रेम आदि विशेषताओं की जानकारी दी। होली गुरुजी भगवान श्री दीप नारायण महाप्रभुजी के परम शिष्य तथा गद्दी के उत्तराधिकारी थे। होली गुरुजी ने श्री दीप नारायण महाप्रभुजी की अत्यंत अल्पायु में ही सुदूर भारत में भ्रमण तथा धर्म प्रचार का कार्य प्रारंभ कर दिया था एवं विदेशों में भी सनातन धर्म की पताका फहराई। भारत के अनेक प्रान्तों में उनके हजारों शिष्य हैं और विदेशों में भी अनुयायी है। गुरुजी ने राजस्थान में तथा विदेशों में अनेक स्थानों पर आश्रम स्थापित किये। वह सम्पूर्ण जीवन धर्म-स्थापना का कार्य करते रहे।
श्री माधवानंद जी महाराज ने भक्ति भाव से परिपूरित भजन ही नहीं लिखे अपितु आत्मज्ञान तथा साधना-प्राप्ति का रहस्य बताने वाली वाणियां भी अनुभूत की एवं लेखनी में उतारी। वे एक महान् संत भक्त-आत्मा तथा योग के रहस्य के परम ज्ञाता थे।
इससे पूर्व आश्रम में आरती, सत्संग एवं भजनों का कार्यक्रम हुआ जिसमें श्रद्धालु भक्तों तथा शिष्यों ने भक्ति रस का आनंद प्राप्त किया। प्रवचन और भजनों के सम्पन्न होने के पश्चात् भोजन प्रसाद हुआ। इस पूरे कार्यक्रम में लगभग सवा सौ श्रद्धालु भक्त शिष्य उपस्थित थे।