सम्मेलन के दूसरे दिन अर्न्तराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने विश्वगुरुजी के साथ मिलकर रोग और स्वास्थय को बढावा देने,विश्व शांति के लिए योग और चिकित्सीय क्षमताओं की रोकथाम के लिए योग की महत्त्वता के बारे में जानकारी दी।
 
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विश्वगुरुजी को एक विशेषज्ञ वक्ता के रूप में योग सत्र हेतु आमंत्रित किया गया जिसमें उन्होंने बताया कि योग द्वारा एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता हैं।
 
विश्वगुरुजी ने अपने संबोधन में कहा कि इन दो दिनों में हम सब ने योग के ज्ञान के सागर में स्नान किया। यह दो दिन सम्पूर्ण दुनिया के लिए बहुत ही हर्ष, आनन्द, शांति और प्रकाश के प्रतीक हैं, और इसका श्रेय हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जाता है। मैं इन्हें युगपुरुष कहता हूँ। २१.जुन को कलियुग समाप्त हो गया और सत्य युग योग शुरु हुआ।
 
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अपने भाषण में योग, स्वास्थय और धर्म के बारे में बहुत ही व्यावहारिक स्पष्टीकरण के अलावा, उन्होंने वहाँ उपस्थित सभी दर्शकों को स्पष्ट किया कि इस संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भविष्य में व्यक्तिगत स्वास्थय को भलीभाँति रखना है। इस दिन से, इस पल से हम सभी को एक संकल्प लेना चाहिए कि हम शाकाहारी जीवनशैली को अपनाए।
 
सभी दर्शकों द्वारा विश्वगुरुजी के भाषण को सराहा गया तथा सत्र के बाद विश्वगुरुजी को बधाईयाँ दी गई।
 
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