गर्मियों के अन्त के दो हफ्ते महाप्रभुदीप आश्रम स्ट्रिल्की, चेक गणराज्य में विभिन्न कार्यक्रमों के लिये थे लेकिन इस समारोह का मुख्य लक्ष्य " दैनिक जीवन में योग " के शिक्षकों को ' व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक ज्ञान ' का अद्यतन कराना था।
सैद्धांतिक भाग प्राण ( जीवन शक्ति ) के विषय के अन्तर्गत था। इस विस्तृत विषय का ज्ञान व्यवस्थित रूप में विश्वगुरुजी के सत्संग पर प्रति दिन समझाया गया। सत्संग और व्याख्यानों के अलावा वहाँ पर बच्चों के स्वास्थय और क्रिया अनुस्थान में सुधार लाने के लिये योग कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।
पूरे दो सप्ताह योग शिक्षकों के कौशल को विकसित करने हेतु, स्वस्थ जीवन हेतु लोगों का नेतृत्व करना एवं उन्हें खुश रखना, जिससे कि इस ग्रह पर एक अच्छे भविष्य का निर्माण किया जा सके।
डॉ. मार्टिन रेपको और हेरिएट बुचर ने रीढ की हड्डी, जोडों और कंधे की माँसपेशियों के बारे में बताया और व्याख्यान दिया कि क्यों बार-बार विश्वगुरुजी आसनों को धीरे-धीरे अभ्यास करने के लिये कहते हैं। साध्वी पार्वती नें पवित्र पुस्तक रामायण से भगवान् श्री राम के उदाहरणों के आधार पर धर्म, ईमानदारी, सच्चाई और विनम्रता से पालन करने की महत्वता पर प्रकाश डाला। महामण्डलेश्वर स्वामी विवेक पुरी ने प्रतिदिन पश्चिमोत्तनासन का अभ्यास किया एवं उसे बेहतर ढंग से करने एवं उसे करने से प्राप्त होने वाले फायदों के बारे में बताया।
विश्वगुरुजी के व्यावहारिक निर्देश का उद्देश्य महामण्डलेश्वर स्वामी विवेक पुरी एवं साध्वी दया पुरी के नेतृत्व में "दैनिक जीवन में योग" के स्तर ५ एवं ६ के आसनों में सुधार लाना था।