14 - 16 December 2018
विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस स्वामि महेशवरानन्द जी वर्ष २०१८ के अन्तिम सप्ताह युरोप के चेक-गणराज्य, स्त्रिल्की मे कई व्यसत कार्य-क्रमो मे बिताया.
सप्ताह के अंतिम समाहरोह मे विश्वगुरुजी , स्त्रिल्की, चेक-गणराज्य मे महाप्रभु दीप आश्रमो मे
महा-स्वामि श्री दीप महाप्रभु जी कि सालगिराह को मनाया.
सैंकडो कि संख्या मे योगा इन डेली लाइफ के प्रशिक्षार्थीयो, अनुयायीयो, श्रोताओ व शिष्यो अपने
व्याखयान मे विश्वगुरुजी ने स्वासथ्य,आहार, प्राणायाम तथा अध्यात्मिक जीवन जैसे विषयो के लिए
पर प्रेरीत किया . विश्वगुरुजी ने बताया कि किस प्रकार से पवित्र वेदो को गुरु अपने शिष्यो को केवल
मौखिक रुप से स्थानानत्रण करते थे. विश्वगुरुजी ने बताया कि भगवान गणेश, वेदव्यास जी के निवेदन
पर वेदो को लिखने के लिए अपने एक दांत का प्रयोग कलम के रुप मे किया था. भगवान गणेश जी
कि यह शर्त थी कि वेदव्यास जी बिना किसी पुर्नावृती के वेदो को बोलते जाये . तथा वेदव्यास जी कि
शर्त यह थी कि भगवान गणेश लिखते समय कुछ पुछेगे नही. वेदो को लिपिबद्द करते समय भगवान
गणेश और वेदव्यास जी बद्रिनाथ के मन्ना गांव कि अलग-अलग गुफाओ मे बैठे थे. भगवान गणेश जी
को लिखने के लिए शान्ति-पुर्ण वातावरण कि आवश्यकता थी इस कारण उनहोने पास मे बह रही
सरस्वति नदी को पाताल मे चले जाने का आदेश दिया और पृथ्वि की सतह पर आने के लिए गंगा व
यमुना के संगम स्थल जिसे प्रयागराज कहते है को चिन्हित किया . प्रयागराज मे तीनो नदियो के संगम
पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है.
विश्वगुरुजी ने क्रिसमस पर शान्ति स्थापना का संदेश दिया.
परिवार मे , गाँव मे, शहर मे , देश मे और विश्व मे शान्ति होनी चाहिये.