गाय के दोनो नेत्रों में चन्द्रमा और सूर्य, जीभ में सरस्वती, दाँतों में मरुत देवता...
 
 
...दोनों कानों में अश्विनी कुमार, सींगों के अग्रभाग में भगवान शंकर और ब्रह्माजी, थूहे में गन्धर्व और अप्सरागण, कुक्षि में चारों समुद्र, योनि में गङ्गाजी, रोमकूप में ऋषिगण, अपान में पृथिवी, आँतों में नागगण, हड्डियों में पर्वत, पैरों में धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष- ये चारों पुरूषार्थ, हुँकार में चारों वेद, कण्ठ में रुद्रगण, पृष्ठभाग में सुमेरु और समस्त शरीर में व्यापक भगवान विष्णु रहते हैं। इस प्रकार गाय सर्वमयी, पवित्र, विश्वरूपिणी देवी है।
 

Deveshwar-Mahadev-gosala-31